श्याम बेनेगल अस्सी के दशक में एक हलचल हुई थी। फिर धीरे-धीरे सब कुछ स्थिर हो गया। इसकी पड़ताल करते हुए सिनेमा को समझाने वालों ने दावा किया था कि यह ‘नया सिनेमा’ का तरंग है। अगर इसी बात को मान लिया जाए तो वह तरंग आया तो मजबूती से था
लोकगीत अपने देश में सदियों से विवाह के मौके पर महिलाओं द्वारा लोकगीत गाने की परम्परा रही है। नारी शक्ति और सौंदर्य की भूमि मिथिला इस परम्परा से अछूती कैसे रह सकती है। मिथिला बिहार का वह भाग है जो सीतामढी से मधुबनी होते हुए दरभंगा तक जाता है
लाहिड़ी बाबा भारत के महान योगी संतों के विषय में लाहिड़ी बाबा की डायरी में अद्भुत जानकारी मिलती है। लाहिड़ी बाबा की डायरी में इस बात का उल्लेख है कि उन्होंने नानकपंथी साईं दास बाबा को क्रिया-योग की दीक्षा दी थी। यह भी ज्ञात है कि शिरडी के
बोधिसेन की जापानी बौद्ध गाथा जापान में प्रचलित बौद्ध धर्म की संस्कृति का विस्तार करने में बोधिसेन की अनोखी भूमिका है। मदुराई के बौद्ध संत की जापान में स्थापित संस्कृति लगभग 1300 वर्ष तक जीवित रही। उन्हें 704 ईस्वी में ज्ञात हुआ कि बोधीसत्व मंजुश्री च
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भारतीय इतिहास में शाही पसंद का बेहतरीन नमूना हुक्का दरअसल पुर्तगालियों की देन है। इसकी एतिहासिक पुष्टी करते हुए दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में ‘भारतीय कला और संस्कृति में हुक्का’ प्रदर्शनी का आयोजन हुआ। हिंदी भाषा में हुक्का,
तारशितो का प्यारः भारत कला के क्षेत्र में एक बात तो खास है कि जितने कलाकार होते हैं उतना ही विस्तृत उसका रूप होता है। तारशितो एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है आंतरिक ज्ञान की प्यास। इसे नाम के रुप में गुरू भगवान रजनीश (ओशो) ने अपने इटली के शि
योग परंपरा के आदिगुरु पांडिचेरी का प्रसिद्ध श्रीअरविंद आश्रम मनुष्य को आत्म-संयम के जरिये आंतरिक क्रियाओं से ईश्वर के साक्षात्कार का संदेश देता है। साथ ही इसके लिए प्रेरित करता है। स्वयं श्रीअरविंद इसके जनक थे। श्रीअरविंद ने अपने संपूर्ण जीवन को
पहले वैश्विक योगी परमहंस योगानंद (जन्म 5 जनवरी 1893, मृत्यु-7 मार्च 1952) बालक मुकुन्दलाल घोष के परमहंस योगानंद बनने की कहानी दिलचस्प है। परमहंस योगानंद आध्यात्मिक गुरु और योगी थे, जिन्होंने दुनिया को क्रिया योग का उपदेश दिया। वे उत्तर प्रदेश के
योग के महागुरु भारत में योग की परंपरा अनादिकाल से है। इसका आगमन वेदों से पहले माना जाता है। योग के आदि गुरु भगवान शंकर हैं और इसके जन्मदाता व महागुरु हिरण्यगर्भ थे। यहां योग के उन गुरुओं की चर्चा है, जिनका स्थान योग की दुनिया में सबसे ऊंचा है। क्रि
सबके बाबा योगेंद्र रामबहादुर राय बाबा योगेंद्र जैसा कोई नहीं है। दूसरा हो भी नहीं सकता। सिद्धांत और व्यवहार की दृष्टि से उनका अनोखापन वे सभी अनुभव करते हैं, जो उन्हें देख पाते हैं। जो उनके संपर्क में आ सके हैं। जिन्हें उनका सान्निध्य प्राप्त हुआ ह
कला मनीषी: आनंद कुमारस्वामी बनवारी बीसवीं सदी के आरम्भ में साम्राज्यवादी यूरोप अपने विजय अभियान के शिखर पर पहुंच चुका था। ब्रिटेन कुछ समय पहले ही भारत को अपने अधीन करने में सफल हो गया था। यूरोप में उसके इस उत्कर्ष का श्रेय नवजागरण काल के विचारों
तिब्बत में योग परंपरा नवोत्थान डेस्क लोबसग रम्पा को तिब्बत का अवतारी लामा माना जाता है। वे थर्ड आई पुस्तक के लेखक भी हैं। इस पुस्तक में उन्होंने तिब्बत की योग परंपरा और लामाओं की सिद्धियों की चर्चा की है। लोबसग रम्पा लिखते हैं- “वे अदृश्य हो
परमहंस योगानन्द 19वीं शताब्दी के अंतिम दशक में गोरखपुर में जन्मे मुकुन्द लाल घोष का परमहंस योगानंद बनने के पीछे एक काफी लंबा इतिहास साक्षी है। वे बंगाली-क्षत्रीय परिवार में अपने चार भाई और बहनों के साथ रहते थे। उनके पिता भगवती चरण घोष बहुत बड़े गणितज्ञ
हठ योग के गुरु बीकेएस अयंगार भारत के अग्रणी योग गुरुओं में बेल्लुर कृष्णमाचारी सुंदरराजा अयंगार हैं। वे देश-दुनिया में बीकेएस अयंगार के नाम से मशहूर हैं। उन्होंने ही अयंगार योग की स्थापना की। योग की इस प्रक्रिया को संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध किया