तिब्बत में योग परंपरा
तिब्बत में योग परंपरा  नवोत्थान डेस्क लोबसग रम्पा को तिब्बत का अवतारी लामा माना जाता है। वे थर्ड आई पुस्तक के लेखक भी हैं। इस पुस्तक में उन्होंने तिब्बत की योग परंपरा और लामाओं की सिद्धियों की चर्चा की है। लोबसग रम्पा लिखते हैं- “वे अदृश्य हो

तिब्बत में योग परंपरा

नवोत्थान    02-Jul-2022
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तिब्बत में योग परंपरा


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नवोत्थान डेस्क

लोबसग रम्पा को तिब्बत का अवतारी लामा माना जाता है। वे थर्ड आई पुस्तक के लेखक भी हैं। इस पुस्तक में उन्होंने तिब्बत की योग परंपरा और लामाओं की सिद्धियों की चर्चा की है। लोबसग रम्पा लिखते हैं- वे अदृश्य हो सकते हैं। उड़ सकते हैं। हवा की तरह तेज भाग सकते हैं, बिना खाये-पीये रह सकते हैं। इनमें से कुछ सिद्धियां मुझे भी प्राप्त हैं। यह विद्या भारत से तिब्बत गयी। अब तो भारत में यह एक प्रकार से लुप्त है।

तिब्बत की योग परंपरा के संबंध में 20 नवंबर, 2010 को नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा ने अपनी बात रखी थी। उन्होंने कहा था कि योगिक अभ्यासों की तरह, तिब्बती बौद्ध अभ्यास भी मन और शरीर के संबंध के महत्व पर जोर देता है। इस संबंध में कहा गया है कि एक अभ्यासी को ध्यान करते समय शरीर की सही मुद्रा पर ध्यान केंद्रित करना होता है, जैसे- रीढ़ की हड्डी सीधी रखना ताकि ध्यान करने के दौरान आराम प्रदान करने के लिए ऊर्जा का प्रवाह सही रहे। तिब्बती बौद्ध धर्म का वज्रायन स्कूल शरीर की सही मुद्रा और मानसिक स्थिति के बीच के गहरे संबंध पर बल देता है।

तुशिता ध्यान केंद्र को बौद्ध धर्म की तिब्बती महायान परंपरा के अध्ययन और अभ्यास के लिए जाना जाता है। यह केंद्र हिमाचल प्रदेश की पहाड़ी पर स्थित है। यहां आध्यात्मिकता के माध्यम से बुद्ध की शिक्षाओं का पालन किया जाता है। यह केंद्र एक साधारण जीवन और मौन पर ध्यान केंद्रित करने वाला प्रमुख उपादान है।